- ज्योतिष के ग्रहीय सुदर्शन चक्र में
- नरेन्द्र मोदी, राहुल गांधी, लालकृष्ण आडवानी या कोई और
- विषाक्त कालसर्प योगी अरविन्द केजरीवाल राजनैतिक चैपाल पर किसको डसेंगे?
चौदहवीं लोकसभा के चुनावी समर की तैयारी में जुट गए हैं, राजनैतिक खलीफा।10, जनपथ को जीतने की चिन्ता नहीं? बल्कि दिल्ली सरीखी राजनीतिक चौपाल पर अपनी 8 सीटों के बल पर 32 सीटों वाली भाजपा को सत्ता से बाहर कर अरविन्द केजरीवाल की 28 सीटों वाली आम आदमी पार्टी को सत्तारूढ़ करवा दिया। उसी तर्ज पर कांग्रेस: नरेन्द्र मोदी की दिल्ली की गद्दी पर ताजपोशी रोकने के लिए शरद पवार या किसी अन्य को समर्थन देकर प्रधानमंत्री बनवाने के राजनैतिक चक्रव्यूह की रचनाकार बन सकती है। दूसरी ओर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नागपुरी उस्ताद नरेन्द्र मोदी की ताजपोशी के लिए कैसी व्यूह रचना करेंगे, इसकी तैयारी बदस्तूर चालू है। उन्हें खतरा है, लालकृष्ण अडवानी के उन राजनैतिक रणनीतिकारों से, जिसमें नीतिश कुमार, ममता बनर्जी, जगन रेड्डी, शिवसेना, अकाली दल तथा भा.ज.पा. का वह घड़ा, जो चुनावी संख्या बल के आधार पर लालकृष्ण अडवानी की ताजपोशी में सिद्धहस्त एवं संकलित है।
ज्योतिष में सटीक भविष्यवाणी करने हेतु कुछ नये अनुसंधानों का सहारा लेकर भावी प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी की खोज करने का हम प्रयास कर रहे हैं। 1. दक्षिण भारत में नवांश कुण्डली के महत्व को प्रमुखता से स्वीकारा गया है, क्योंकि वर्गोत्तम ग्रह की खोज बिना नवांश कुण्डली के संभव नहीं। 2. अष्टक वर्ग के शुभ बिन्दु जातक के शुभाशुभ फल की वैज्ञानिक पद्धति है। 3. वर्ष कुण्डली, संबंधित वर्ष के फलाफल का चमत्कारिक आईना है। साथ ही विंशोत्तरी एवं योगनी महादशाओं का सहारा लेकर ज्ञात किया जा सकता है कि किसकी कुण्डली में दिल्ली के तख्ते-ताऊस पर ताजपोशी करवाने के योग प्रबल हैं।
इस आलेख के केन्द्र बिन्दु हैं: नरेन्द्र मोदी, राहुल गांधी और भाजपा के भीष्म पितामह लालकृष्ण आडवानी। विषाक्त कालसर्प योगी अरविन्द केजरीवाल के राजनैतिक बजूद का परीक्षण भी इन संसदीय चुनाव में स्वमेव हो जायेगा। यह प्रश्न अनुत्तरित है? आईये देखें! ज्योतिष के ग्रहीय सुदर्शन चक्र में कौन किस पर भारी पड़ रहा है?
14वीं लोकसभा के चुनाव का शंखनाद बजने वाला ही है। आतुर है! राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के रक्षा कवच से सुरक्षित भा.ज.पा. के घोषित प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेन्द्र मोदी, दूसरी ओर कांग्रेस के अघोषित प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार राहुल गांधी। भाजपा के पितृपुरूष लालकृष्ण अडवानी भले ही प्रधानमंत्री पद की दावेदारी पर मौन हों? किन्तु शतरंज की बिसात पर उनकी उपस्थिति हैरतअंगेज मानी जा रही है। कांग्रेस भले ही हाल ही में सम्पन्न पांच विधानसभाओं में से चार विधान सभाओं में मिली पराजय से व्यथित हो, किन्तु लोकसभा चुनावों में वह पुन: सत्तासीन होने की हसरत पालकर बैठी है। कांग्रेस का राजनैतिक कौशल किसी तिलस्म से कम नहीं है। अल्पमत होने पर भी विगत् 10 वर्षों से सत्तासीन है। सत्ता के गलियारों में ध्वनित एक ओर सच बनते बिगड़ते राजनैतिक समीकरणों में प्रतिबिम्बत हो रहा है कि कहीं यू.पी.ए. का प्रमुख घटक दल कांग्रेस भले ही 125-130 सीटों पर सिमट जाए, किन्तु अन्य घटक दल जो तेरहवीं लोकसभा अर्थात् 2009 में अपनी राजनैतिक काया ण कर चुके थे यदि वे सबल हो जाएं जैसे लालू यादव, रामविलास पासवान, शरद पवार तथा सत्ता से दूरी बनाये रखने वाले वामदल। केजरीवाल की आम आदमी पार्टी का मायावी राजनैतिक घटोत्कच्छ यदि 15-25 सीटें लोकसभा में जीत गया तो परकाया प्रवेश के माध्यम से कांग्रेस का लालीपॉप बन सकता है, दिल्ली सरकार की सुरक्षा के एवज में। भा.ज.पा. के वेटिंग प्राइम मिनिस्टर नरेन्द्र मोदी गुजरात के विकास की दुहाई देते नहीं थकते, किन्तु वे इतने आत्ममुग्ध न हों कि यह भूल जाएं कि गुजरात पहले से ही समृद्ध राज्य है तथा गुजरात के अधिसंख्य नागरिक परिवारों के सदस्य अप्रवासी भारतीय के रूप में विदेशों में रहकर अपने परिवारों को विदेशी मुद्रा भेजकर प्रदेश के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं। इसमें मोदी चमत्कार कुछ अतिश्योक्तिपूर्ण है। भा.ज.पा. ही नहीं शिवसेना तथा अकाली दल और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का एक धड़ा चिन्तित है कि मोदी के अहंकारी उद्घोष से सत्ता का स्वर्ण मारीच कहीं निगाहों से ओझल न हो जाए? और यही है यक्ष का मौन तोड़ता प्रश्न? कि कहीं लालकृष्ण अडवानी, ममता, नवीन पटनायक, जगन रेड्डी, चन्द्रबाबू नायडू, नीतिश कुमार तथा जे. जयललिता की राजनैतिक वैशाखियों पर एन.डी.ए. की सरकार बना कर दिल्ली के तख्तेताऊस पर विराजमान न हो जाएं? आईये! ज्योतिष के आईनें में देेखें 14वीं लोकसभा का चुनावी भविष्य। मूल पात्र हैं नरेन्द्र मोदी, राहुल गांधी तथा लालकृष्ण आडवानी और राजनैतिक नवजात शिशु, जिसने अपने शाब्दिक मायाजाल से दिल्ली राज्य के मुख्यमंत्री पद की गद्दी हथिया ली।
जन्मकुंडली - 4
नरेन्द्र मोदी: जन्म 17 सितम्बर, सन् 1950,
समय: दिन के 11 बजे, स्थान: मेहसाना (गुजरात)
नरेन्द्र मोदी की जन्म राशि वृश्चिक है। शनि की साढ़े साती का प्रथम चरण चल रहा है। राजभवन में विराजे शुक्र में पराक्रमेश शनि की अन्तर्दशा में गुजरात के मुख्यमंत्री बने। 02.12.2005 को शुक्र की महादशा के बाद राज्येश सूर्य की महादशा जो 03.02.2011 तक चली। तत्पश्चात् 03.02.2011 से भाग्येश चन्द्र की महादशा का शुभारम्भ हुआ। ज्योतिष ग्रंथों में वर्णित है कि एक तो भाग्येश की महादशा जीवन में आती नहीं है और यदि आ जाए तो जातक रंक से राजा तथा राजा से महाराजा बनता है। मोदी भाग्येश की महादशा में मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री बन सकते हैं, किन्तु चन्द्रमा में राहु की अन्र्तदशा ग्रहण योग बना रही है तथा 20.04.2014 से 20.07.2014 के मध्य व्ययेश शुक्र की प्रत्यन्तर दशा कहीं प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने के प्रबल योग को ण न कर दें? यद्यपि योगनी की महादशा संकटा में सिद्धा की अन्तर्दशा तथा वर्ष कुण्डली में वर्ष लग्न जन्म लग्न का मारक भवन (द्वितीय) होते हुए भी मुंथा पराक्रम भवन में बैठी है तथा मुंथेश शनि अपनी उच्च राशि का होकर लाभ भवन में विराजमान है। जो अपनी तेजस्वीयता से जातक को 7 रेसकोर्स तक पहुंचा सकता है। किन्तु एक अवरोध फिर भी शेष है और वह है सर्वाष्टक वर्ग के राज्य भवन में लालकृष्ण आडवानी और राहुल गांधी की तुलना में कम शुभ अंक अर्थात् 27. साथ ही ''मूसल योग'' जातक को दुराग्रही बना रहा है तथा केमद्रुम योग, जो चन्द्रमा के द्वितीय और द्वादश में कोई ग्रह न होने के कारण बन रहा है। उसका फल भी शुभ कर्मों के फल प्राप्ति में बाधा। वर्तमान में भाग्येश चन्द्रमा की महादशा चल रही है, जो दिल्ली के तख्ते ताऊस पर मोदी की ताजपोशी कर तो सकती है किन्तु केमद्रुम योग तथा ग्रहण योग इसमें संशय व्यक्त करता नजर आ रहा है?
जन्मकुंडली-4
राहुल गांधी: जन्म 19 जून, 1970
समय: प्रात: 5.50 बजे, स्थान: नई दिल्ली
राहुल गांधी, नरेन्द्र मोदी की तरह वृश्चिक वाले जातक हैं। शनि की साढ़े साती का प्रथम चरण इन्हें भी चल रहा है। शनि के प्रभा मण्डल में दोनों जातक प्रजातांत्रिक तरीके से प्रधानमंत्री बनने की जोर अजमाइश कर रहे हैं। राहुल गांधी की कुण्डली में बुध और गुरु ग्रह वर्गोत्तम है। विंशोत्तरी में चन्द्रमा की महादशा में बुध की अंतर्दशा चल रही है। चन्द्रमा द्वितीय श्रेणी का मारक ग्रह है, वहीं बुध वर्गोत्तम होकर लग्न तथा मातृ भवन का स्वामी होकर द्वादश भवन में विराजमान है। अस्तु, माँ (मति सोनिया गांधी) का पुण्य प्रताप अनेक अवरोधों से निजात दिलाता नजर आ रहा है। चन्द्र में बुध की अन्तर्दशा तथा बुध में भाग्येश शनि की प्रत्यंतर दशा 06.04.2014 से 27.06.2014 तक चलेगी। शनि भाग्येश होकर अपनी उच्चराशि तुला में भ्रमणरत है। साथ ही राहुल गांधी की कुण्डली में योगनी महादशा में सिद्धा में सिद्धा की महादशा चल रही है, जो दिनांक 08.12.2014 तक चलेगी। सिद्धा की महादशा भी कार्यों की सिद्धि तथा सफलता में सहायक होती है। वर्ष कुण्डली की लग्न जन्म लग्न मिथुन है। ताजिक नीलकंठी के अनुसार जब वर्ष लग्न जन्म लग्न बने तो वह वर्ष में संबंधित जातक को पुनर्जीवन वर्ष के सदृश्य होगी अर्थात् विगत् की राजनैतिक शून्यता शिखर पुरुष भी बना सकती है। किन्तु एक अवरोध है - मुंथा अष्टम् भवन में है, जो शारीरिक स्वास्थ्य की विपरीतता या किसी दुर्घटना की सूचक है। आवश्यक चुनावी व्यवस्था में यात्राओं के दौरान सतर्कता बरतने से स्वास्थ्य हानि से बचा जा सकता है। कुण्डली में बने योगों में प्रमुख योग ''चक्रवर्ती राज योगÓÓ। प्रजातांत्रिक व्यवस्था में देश का प्रधानमंत्री बनना भी चक्रवर्ती राजयोग के समकक्ष है। इसकी समयावधि 28.07.2020 तक है। सर्वाष्टक वर्ग के राज्य भवन में 35 शुभ बिन्दु देश के शिखर पद पहुंचाने में सहयोगी हो सकते हैं?
जन्मकुंडली-4
लालकृष्ण अडवानी: जन्म 08 नवम्बर, 1927
समय: प्रात: 9:16 बजे, स्थान: करांची (पाकिस्तान)
लालकृष्ण आडवानी जी की कुण्डली वृश्चिक लग्न वाली है। मोदी की जन्म लग्न भी वृश्चिक है। स्वभावगत् देखा जाए तो कोई भी किसी से कम नहीं।
आडवानी जी की कुण्डली में वर्गोंत्तम ग्रह शनि है, जो पराक्रमेश और सुखेश भी है तथा गोचर में अपनी उच्चराशि तुला मे भ्रमणरत है। विंशोत्तरी दशा में वर्गोत्तम ग्रह शनि की महादशा में लाभेश बुध की अंतर्दशा 30.05.2014 तक चलेगी। लोकसभा के चुनावी परिणाम 30.05.14 तक आने की संभावना है।
यदि चमत्कार ने शनिदेव का नमस्कार कर लिया तो विचित्र किन्तु सत्य में घटित चुनावी सफलताएं अडवानी को शिखर पद पर पहुंचा सकती है। योगनी महादशा में सिद्धा में सिद्धा की अंतर्दशा 01.06.2014 तक चलेगी। ज्योतिष ग्रंथों में वर्णित है सिद्धा की महादशा जातक के समस्त प्रकार के कार्यों में सफलताओं के हस्ताक्षर करती हैं। नवांश कुण्डली में सूर्य जो जन्म कुण्डली में राज्येश है, चन्द्र जो भाग्येश है, गुरु जो पंचमेश है तीनों ग्रह नवांश कुण्डली में अपनी-अपनी उच्च राशि में विराजमान है। अष्टमेश एवं लाभेश बुध भी नवांश कुण्डली में स्वक्षेत्री होकर केन्द्रस्थ है। सर्वाष्टक वर्ग की कुण्डली के राज्य भवन में 40 शुभ बिन्दु प्राप्त है, जो राहुल गांधी और नरेन्द्र मोदी से भी अधिक है। वर्ष कुण्डली, जन्म लग्न का द्वितीय भवन तथा मुंथेश शनि अपनी उच्च राशि तुला के साथ लाभ भवन में पदस्थ हैं। ज्योतिषीय गणनाओं का समग्र आंकलन कर यदि संकल्पित शब्दों में कहा जाए तो नरेन्द्र मोदी अथवा राहुल गांधी की तुलना में भा.ज.पा. का यह भीष्म पितामह दिल्ली के तख्ते-ताऊस पर विराजमान हो जावें, तो अकल्पनीय नहीं कहा जा सकता।
जन्मकुंडली-4
अरविन्द केजरीवाल (विषाक्त कालसर्प योग)
जन्म 16 अगस्त, 1968, समय: रात्रि 11:48 बजे, स्थान: हिसार (हरियाणा)
वर्गोत्तम ग्रह: शनि और बुध विषाक्त कालसर्प योगधारी यह जातक भारतीय राजनीति में सुनामी की तरह 15 वर्षों तक स्थापित दिल्ली की मुख्यमंत्री मति शीला दीक्षित को विधान सभा के चुनावी समर में पराजित कर दिल्ली राज्य का स्वयं मुख्यमंत्री बन बैठा। नरेन्द्र मोदी से लेकर भा.ज.पा. के अनेक कद्दावर नेता भी दिल्ली में भा.ज.पा. को सिंहासत्तारूढ़ कराने में असफल रहे। कालसर्प योग में जन्में पं. जवाहर लाल नेहरू, सरदार बल्लभ भाई, पी.व्ही. नरसिम्हाराव, मार्टिन लूथर किंग, मति सोनिया गांधी, डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, सद्दाम हुसैन, नेल्सन मण्डेला, पं. मदनमोहन मालवीय, हेराल्ड विल्सन, मोरारी बापू सरीखे विशिष्ट व्यक्तित्व भी काल सर्पयोग से प्रभावित रहे। अरविन्द केजरीवाल की कुण्डली में शंख योग, मेरी योग, पर्वत योग, अखण्ड साम्राज्य योग, अमर योग, केन्द्र त्रिकोण आदि प्रबल राजयोगों ने देश की राजधानी दिल्ली प्रदेश का मुख्यमंत्री बनवा दिया। विधानसभा 2013 के चुनावी समर में किसी भी एक्जिट या ओपिनियन पोल ने 16 से अधिक सीटें नहीं दीं, किन्तु मैंने अपने चुनावी आलेख में पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में ''आम आदमी पार्टीÓÓ के लिए लिखा था कि आम आदमी पार्टी राजनैतिक हनीमून मनायेगी तथा कांग्रेस पार्टी सत्ताच्युत होकर भी विपक्ष में नहीं बैठेगी - भविष्य वाणी अक्षरस: सत्य हुई। अरविन्द केजरीवाल की कुण्डली में शनि और शुक्र स्वक्षेत्री है, जो भाग्येश तथा राज्येश एवं लग्नेश है। शनि गोचर में उच्च राशिगत् होकर शत्रु भवन में विचरण कर रहा है। सम्भव है राजनैतिक शत्रुओं के पराभव की ऐतिहासिक समीक्षा करने में यह आतुर हो।
राजनीतिक समीकरण
चौदहवीं लोकसभा के चुनावों के राजनैतिक समीकरण नरेन्द्र मोदी एवं राहुल गांधी के मध्य शक्ति प्रदर्शन के रूप में प्रतिफलित होंगे। आशय यह कि भा.ज.पा. या कांग्रेस में से कौन सत्ता सिंहासन पर कब्जा जमाने में सफल होगा? प्रश्न का उत्तर स्पष्ट है कि जनादेश किस पार्टी एवं उसके सहयोगी दलों को बहुमत की सीमा रेखा में लाता है। ज्योतिष परिदृश्य मिले-जुले संकेत दे रहा है। नरेन्द्र मोदी और राहुल गांधी दोनों की कुण्डलियां वृश्चिक राशि तथा शनि की साढ़ेसाती से प्रभावित हंै। दोनों का स्वामी मंगल है। नरेन्द्र मोदी की कुण्डली महादशाओं की दृष्टि से भाग्येश चन्द्र की दशा में, राहु की अन्तर्दशा ग्रहण योग, वर्ष मुंथा पराक्रम भवन में, मुंथेश शनि अपनी उच्च राशि लाभ में तथा दूसरी ओर राहुल गांधी की कुण्डली के अनुसार चन्द्रमा जो मारक है कि महादशा में लग्नेश-सुखेश बुध की अंतर्दशा चल रही है और प्रत्यन्तर दशा शनि की, जो मारकेश तथा भाग्येश भी हैं। योगनी महादशा में सिद्धा में सिद्धा की अन्तर्दशा 08.12.2014 तक चलेगी। वर्ष कुण्डली में लग्न जन्म लग्न है, इसे पुनर्जन्म वर्ष के रूप में स्वीकारा जाता है। सर्वाष्टक वर्ग के राज्य भवन में नरेन्द्र मोदी के शुभ बिन्दु 27 तथा राहुल गांधी को शुभ बिन्दु 35 मिले हैं। दोनों में से कोई भी कम नहीं है, किन्तु नरेन्द्र मोदी की पराक्रम भवन में मुंथा, मुंथेश शनि उच्च तथा भाग्येश की महादशा के कारण राहुल गांधी की तुलना में प्रधानमंत्री पद के सशक्त दावेदार नरेन्द्र मोदी बनते दिख रहे हैं। किन्तु इन दोनों की तुलना में छिपे रुस्तम लालकृष्ण आडवानी की कुण्डली को देखें तो नरेन्द्र मोदी की तुलना में ग्रहीय प्रभाव आडवानी जी के प्रबल हैं। सर्वाष्टक वर्ग के राज्य भवन में शुभ बिन्दु 40 जो मोदी और गांधी की तुलना में सर्वाधिक है। विंशोत्तरी महादशा शनि में बुध की अन्तर्दशा। शनि वर्गोत्तम है। पराक्रमेश और सुखेश शनि की महादशा में लाभेश बुध की अन्तर्दशा जातक को प्रभावशाली बनाती है। शनि अपनी उच्च राशि तुला में भ्रमणरत है। आडवानी की नवांश कुण्डली में सूर्य जो राज्येश है, चन्द्र जो भाग्येश है और गुरु जो पंचमेश (विवेक) है तीनों अपनी-अपनी उच्च राशि में विराजमान हैं। वर्ष कुण्डली में मुंथेश शनि अपनी उच्च राशि में भ्रमणरत् है। योगिनी महादशा में सिद्धा में सिद्धा की अन्तर्दशा 01.06.2014 तक चलेगी। ज्योतिष ग्रंथों में वर्णित है कि सिद्धा अपने महादशा काल में कार्यों की सफलताओं के हस्ताक्षर करती है। यदि ज्योतिष की दृष्टि में संकल्पित शब्दों में कहा जाए कि भा.ज.पा. का यह भीष्म पितामह दिल्ली के तख्ते-ताऊस पर बैठकर देश का प्रधानमंत्री बन जाए, तो अकल्पनीय नहीं कहा जा सकता। अरविन्द केजरीवाल इस चुनावी समर में कांग्रेस तथा भा.ज.पा. एवं स.पा. के लिए एक ऐसी लक्ष्मण रेखा खींचेगें जो विजय के पास खड़े चुनावी मुहरों को पराजय की दास्तान लिखने को मजबूर कर सकेंगे। आम आदमी पार्टी की 'लाईफ लाईन' इन्हीं चुनावों में छोटे या बड़े आकार में खींची जा सकती है। दिल्ली राज्य का भविष्य भी इसी चुनावी परिणाम से जुड़ा होगा?
पंडित पीएन भट्टअंतरराष्ट्रीय ज्योतिर्विद,
अंकशास्त्री एवं हस्तरेखा विशेषज्ञ
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